नव वर्ष
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हम क्यों यह नव वर्ष मनायें
हम हिन्दू हैं धरा है हिन्दू
हम अपना हिन्दुत्व बचायें
हम क्यों यह नव वर्ष मनायें
हम हैं हिन्दुस्तान के वासी
पूर्वज थे सारे सन्यासी
मेरे दिल में बसी हुई है
क्या मथुरा हो क्या हो काशी
हम सब ऋषियों की सन्तानें
हम केवल हिन्दुत्व को जानें
केवल हिन्दी भाषा मानें
हिन्दी भाषा ही पहचानें
चैत्र से है नव वर्ष हमारा
हर हिन्दुस्तानी को प्यारा
तभी से हम नव वर्ष मनायें
हम क्यों यह नव वर्ष मनायें
नव वर्ष में नव खुशियाँ आती हैं
ऋतुराज बसन्त भी आ जाती है
नई नई कोपल लाती है
खेतों में बसन्ती छा जाती है
बगिया में पुष्प खिला जाती है
सर्दी बिदा भी हो जाती है
हल्की हल्की गर्मी आती
मौसम भी होता है सुहाना
तरुवर भी गाते हैं गाना
बच्चे भी सब खुश हो जाते
उछल कूद कर शोर मचाते
तब अपना नव वर्ष मनायें
हम क्यों यह नव वर्ष मनायें
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Sep-2022 10:54 PM
Wahhh बहुत ही खूबसूरत रचना
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आँचल सोनी 'हिया'
14-Sep-2022 07:55 PM
Bahut khoob 💐👍
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Gunjan Kamal
14-Sep-2022 03:00 PM
बहुत ही सुन्दर
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